माँ
माँ
NAVNEET
।। माँ ।।
ईश्वर ने बहुत कुछ दिया,
सब को इस संसार में।
सबसे पावन भेंट है माँ,
साथ होती हर हाल में।
जननी है, जन्मदात्री है,
माँ जीवन निर्मात्री है।
भावना संवेदना की मूर्ति है,
माँ है तो जीवन पुलकित है।
अपने संतान के लिए,
हर कष्ट सहती है माँ।
बोध नहीं होने देती पर,
स्वयं में हर लेती है।
माँ, एक आशा है,
सुख में देती साथ है।
दुःख में देती दिलासा है,
संतान सुख हीं, माँ की अभिलाषा है।
माँ, विश्वास है,
माँ, स्वयं ईश्वर है।
माँ का प्रेम निश्छल है,
माँ, सबसे विशिष्ट है।
सृस्टि की जननी है माँ,
पालन करने वाली है माँ।
संतान के हर परिस्थिति में,
साथ चलने वाली है माँ।
माँ का प्रेम अतुल्य है,
इसका न कोई मूल्य है।
माँ की सेवा में है भक्ति,
तन मन को देती है शक्ति।
NAVNEET
।। माँ ।।
ईश्वर ने बहुत कुछ दिया,
सब को इस संसार में।
सबसे पावन भेंट है माँ,
साथ होती हर हाल में।
जननी है, जन्मदात्री है,
माँ जीवन निर्मात्री है।
भावना संवेदना की मूर्ति है,
माँ है तो जीवन पुलकित है।
अपने संतान के लिए,
हर कष्ट सहती है माँ।
बोध नहीं होने देती पर,
स्वयं में हर लेती है।
माँ, एक आशा है,
सुख में देती साथ है।
दुःख में देती दिलासा है,
संतान सुख हीं, माँ की अभिलाषा है।
माँ, विश्वास है,
माँ, स्वयं ईश्वर है।
माँ का प्रेम निश्छल है,
माँ, सबसे विशिष्ट है।
सृस्टि की जननी है माँ,
पालन करने वाली है माँ।
संतान के हर परिस्थिति में,
साथ चलने वाली है माँ।
माँ का प्रेम अतुल्य है,
इसका न कोई मूल्य है।
माँ की सेवा में है भक्ति,
तन मन को देती है शक्ति।
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