मरघट- एक सच्चाई

मरघट- एक सच्चाई 





।। मरघट- एक सच्चाई ।।

एक सच्चाई मरघट है,
जहाँ जाना सबको एक दिन है।

मरघट से सबका रिश्ता है,
मरघट में हर कोई टिकता है।

शिव धाम में एक दिन जाना है,
चलता न कोई बहाना है।

ये सत्य है, ये भी एक पल है,
आज नहीं तो जाना कल है।

मरघट का हर कोई वासी है,
मरघट जीवन का काशी है।

रास्ता मरघट का छूट गया,
सब गली मोहल्ला घर में है।

कौन आएगा अब मरघट में,
समाज सारा डर में है।

शिवधाम में अब सन्नाटा है,
कोई आता न कोई जाता है।

एक बार तो आना है सबको,
सबका यहाँ से नाता है।

यूँ मरघट की बदनामी क्यों,
क्यों डर मरघट का दिल में है।

मरघट तो बस एक रास्ता है,
मरघट का पड़ाव शिव ही है।

मरघट ब्रह्मलोक का रास्ता है,
इस राह से सब कोई जाता है।

जिसने हैं जैसे कर्म किये,
वैसा पुनर्जन्म वो पाता है।


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