मित्रता

मित्रता कृष्ण और सुदामा
मित्रता राम सुग्रीव समान
रहे चाहे जैसा यह जीवन
रखती मित्रता इसका मान

सुख दुःख में सदैव मित्र
खुशबू जीवन ज्यों हो इत्र
मित्र हमेशा साथ निभाते
संग सदैव हीं हंसते गाते

साथ बचपन कल अटूट
है भरा विश्वास कूट कूट
मन की हर बातें कह देते
मित्र जो हर पीड़ा हर लेते

ये साथ रहे ऐसा हीं सदैव
मित्र हीं तो धन और वैभव
मित्र तो हैं जीवन का आय
मित्रता तब ही सबको भाय

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