उस पल
काश वो एक पल भी आए
ए काश वो मंज़र अब आए
मिल जाएं किसी मोड़ दोनों
बातें जो हैं मन में कह जाएं
करूंगा क्या ये सोच रहा हूं
अभी तक संकोच में रहा हूं
मन की बात कब तक अंदर
मिलोगी तुम कर दूंगा बाहर
तुमको अपने साथ बिठाकर
हवाओं सम मैं उड़ा ले जाऊं
विचरण करें तब नदी किनारे
संग बैठ उस पल को बिताएं
हर खुशियां उस पल में दे दूं
थोड़े वक्त में बहुत कुछ दे दूं
याद रहे वो पल जीवनपर्यंत
छोटा सा पल पर न हो अंत
इतना खूबसूरत वो पल हाय
चुस्कियों संग एक गरम चाय
तुम मुझको देखे मैं तुम्हें देखूं
न तू मुझे रोके न मैं तुझे रोकूं
बस वहीं पर ये वक्त थम जाए
तब मैं तुझसे कुछ कह न पाऊं
मेरे मन की बात रहे मन में ही
बिन कहे काश समझ तू जाए
मैं तुझे बगिया में लेकर जाऊं
फूलों से तेरा परिचय करवाऊं
बखान करूं उनसे यह सुंदरता
कहूं इनके आगे पुष्प तू फीका
चाहूं ये तेरी बांहों को पकड़कर
लगा लूं तुझको फिर अपने कर
माथे पे मीठी एक चुंबन दे जाऊं
ओंठो पर एक चुंबन लेकर आऊं
और इस पल की यादों के सहारे
साथ बिताए संग जो पल तुम्हारे
रख लूं तब संजोकर इस पल को
क्या पता पल कल हो की ना हो
कल शायद रहें या की न रहें हम
न जाने जाए किस पथ ये जीवन
हो हर पथ बस संग यादें तुम्हारी
साथ रहे सदा बस चाहत तुम्हारी
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