रिश्ता

मानव जीवन के राहों पर
विचित्र से रिश्ते मिलते हैं
कुछ संग सदा हैं रह जाते
कुछ प्रयोग कर चले जाते

यह अपनी अपनी सोच है
अपना अपना स्वभाव यह
कुछ व्यक्ति में स्वार्थ बसा
कुछ में है परमार्थ ही मात्र 

यह तो कलयुग का साया है
कल की सब हैं सोचा करते
परंतु बेहतर आज बनाने को
भावनाओं से बस खेला करते

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