चाय

जीवन की चुनौतियों से
दैनिक कठिनाइयों से
जूझता हुआ जब आता
वापस अपने आंगन को

परिवार की जानता राय
कोई कुछ हल बताए
भूल जाता मैं सबकुछ
आए पास ये गर्म चाय

हर चुस्की के साथ
रहता कोई इलाज
मन कर देता शांत
गायब सारे भ्रांत 

चाय प्रेम सुकून सुखदायक
हर माहौल में पीने लायक

Comments

Popular posts from this blog

अब जाता हूं .....

चक्रव्यूह

वो क्षण