दूरियां

मेरे मन की भावनाओं से
भला क्यों खेलती हो तुम ?
जानती हो, तुम्हें चाहता हूं
तुम्हारी यादों में जीता हूं

मेरे प्रेम को भला बताओ
क्यों नहीं समझती हो तुम ?
बातें मेरी बूझती हो
तब भी दूर रहती हो

देख मुझे मुस्कुरा देती हो
दूरियां क्यों बनाती हो तुम ?
प्रेम बंधन नहीं जानता
प्रेम दूरियां नहीं मानता

चाहता हूं तुम्हें अपनाने को
क्या करूं तुम्हें पाने को ?
पास आकर दूरियां बनाती
कहो क्यों इतना इतराती

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