जादू

एक छड़ी घुमाए कोई
इंसानियत फिर लाए कोई
अहम घृणा से भरी दुनियाँ
जादू प्रेम का चलाए कोई

अपनें कर्म को करे इंसान
पूजे अपना अपना भगवान
त्यागे न वो अपना ईमान
छोड़ दे अंदर का शैतान

जले फिर प्रेम का दीपक
अपनापन संसार में व्यापक
रहनें लायक बने समाज
एक दूजे पर हो विश्वास

Comments

Popular posts from this blog

अब जाता हूं .....

चक्रव्यूह

वो क्षण