लॉकडाउन
परिंदों ने भी पाया
उड़ने का प्रयोजन
वन से निकलकर
पशु कर रहे विचरण
उन्हें भी है आश्चर्य
कैसा वक़्त है आया
कोई खतरा नहीं
न भय का हीं साया
उड़ रहे स्वछंद हैं
घूम रहे खुले तौर से
ये वक़्त उनके लिए अद्वितीय
उन्होंने कितनीं प्रतीक्षा हैं किए
परिंदों ने भी पाया
उड़ने का प्रयोजन
वन से निकलकर
पशु कर रहे विचरण
उन्हें भी है आश्चर्य
कैसा वक़्त है आया
कोई खतरा नहीं
न भय का हीं साया
उड़ रहे स्वछंद हैं
घूम रहे खुले तौर से
ये वक़्त उनके लिए अद्वितीय
उन्होंने कितनीं प्रतीक्षा हैं किए
Comments
Post a Comment