हिंदी

 “अ”पनें संग जोड़ औरों को

“आ”गे बढ़ती रही हिंदी

“इ”क्कठे कर कई बोली

“ई”र्ष्या से दूर रही

 

“उ”दार चरित अतुल्यऊ”र्जा

“ए”कीकृत परंतु ऐ”कपत्य

“ओ”जस्विताऔ”दार्य कारण

“अं”तःप्रवाह सदा बहती रही

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