रात
रात की चादर ओढ़ कर
दिन चला विश्राम को
आएगा फिर कल सुबह
करने बाकी काम को
तब तलक कोई टोको मत
सोने दो अब रोको मत
बहनें दो भावनाओं को
आंसुओं के संग चलने दो
डूब जाने दो ख्वाबों में
अपने ही जज़्बातों में
रात की अब है ये मर्ज़ी
दिन बीता बेदर्दी सा
रात की चादर ओढ़ कर
दिन चला विश्राम को
आएगा फिर कल सुबह
करने बाकी काम को
तब तलक कोई टोको मत
सोने दो अब रोको मत
बहनें दो भावनाओं को
आंसुओं के संग चलने दो
डूब जाने दो ख्वाबों में
अपने ही जज़्बातों में
रात की अब है ये मर्ज़ी
दिन बीता बेदर्दी सा
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