संगीत

कान्हा तेरे चरणों में
झांझर की खन-खन
मधुरिम धुन रिझाती
यशोदा नंद का मन

पायल की राग यह
है चित्त को लुभाती
जो घुंघरू खनकती 
मैया को बहुत भाती

पहन नूपुर प्रांगण में 
चारों भ्राता खेले हैं
तीनों माता के उर में
संगीत को बिखेरे हैं

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