Posts

Showing posts from July, 2025

संगीत

कान्हा तेरे चरणों में झांझर की खन-खन मधुरिम धुन रिझाती यशोदा नंद का मन पायल की राग यह है चित्त को लुभाती जो घुंघरू खनकती  मैया को बहुत भाती पहन नूपुर प्रांगण में  चारों भ्राता खेले हैं तीनों माता के उर में संगीत को बिखेरे हैं

बारिश

टपकती बूंदें मन हर्षाएं टिप टिप बरसती जाएं क्षण में लुप्त हुई तपिश आई अवनि पर बारिश हरियाली हर ओर छाई देखो बरखा रानी आई आता, छुप जाता रवीश जब आती जाती बारिश देख लबालब नदी नहर हर्षित मनुष्य ग्राम नगर खेतों में फसलें लहराएं  मौसम बारिश का आए