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Showing posts from July, 2024

अटूट प्रेम

प्रेम ये मेरा अटूट सा संसार से ढंका हुआ इन निगाहों की आड़ में बस आसक्त तेरे प्यार में न दृष्टि हीं इधर उधर यूं पर्दा मेरी आँख पर विचार मेरी तेरे तलक चाहिए एक तेरी झलक कोई भी न आस पास हो सदैव बस तेरा हीं साथ हो मैं तेरा, तुम मेरी ओट हो प्रेम में नहीं कोई खोट हो

मैं पुस्तक कोई खुला

मैं पुस्तक कोई खुला तुम बंद कोई द्वार सा तुमने मुझे पढ़ लिया मैं बाहर हीं खड़ा रहा आ तुम्हारी चौखट पर डूबा रहा इस सोंच में सोचा अंदर आऊं पर न आ सका संकोच में है जान लिया तुमने मुझे यह पढ़ लिया मैं कौन हूं पढ़ रख दिया पृथक मुझे इसलिए हीं तो मैं मौन हूं किवाड़ को मैं खोलकर आ जाऊं तुम्हें बोलकर मर्यादा न उलंघित करूं चला जाऊं यह सोचकर जब पढ़ लिया, विश्वास कर चाहे हो पल कैसा भी मगर है चौखट तेरी, मेरी गोपुरम है आराधना तेरी मेरा जीवन

पायल

पूरी कर लूं मन की साध लूं पायल सा तुझको बांध प्रणय की हो मधुर वो बेला रहे सदा बस तू मेरे साथ खनखनाता हुआ हर पल हो खुशियां जीवन में अविरल हो शीतलता पाऊं मैं पायल सी शांत तन मन जीवन हो सुखी घुंघरू सी ध्वनि मधुर हो साथ तेरा ऐसा सदैव हो तू पायल हो और घुंघरु मैं नहीं रहे तब कोई भी संशय