भारत देश
हिमालय से सागर तक भारत रेगिस्तान संग ले वर्षावन तक हैं विविध बड़ी भूमि भारत की खानपान भाषाएँ मोह ले जातीं एक सूत्र में है बंधा यह देश भिन्न वस्त्र या अलग हो वेश जोड़ता हमें इतिहास हमारा भारत है हम सब को प्यारा करें जो पृथक करनें की बातें संगठन को वह क्या हीं जानें है युगों युगों का साथ हमारा संग हाँथों में यह हाँथ हमारा कहे संविधान हम भारत के लोग लग चूका कुछ को विलग का रोग मन मस्तिष्क में उनके द्वेष भरा है पर सारा भारत यहाँ साथ खड़ा है सहनशीलता बसी लहू में हमारे विभिन्नता में एकता साथ पुकारे छोड़ दो सोचना बाँटने का तुम हो जाओगे वर्ना कहीं पन्नों में गुम