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Showing posts from December, 2020

किसान

  किसान   ।।  किसान    ।। अन्न धरती माँ किसान ऋतु अनुकूल साथ जो लहलहाते खेत उपज हर्ष में होता इंसान साथ मिलता हर वक़्त योजनाएं काम आएं कर सही पहचान अगर सुविधाएं पहुंचाई जाएँ हर किसान धनवान न कुछ की हैं लाचारियाँ उचित वक़्त पर उचित साथ इतनी सी बस कामना ढेरों बैठे गिद्ध हैं नोचनें हर पल उन्हें परिश्रम किसी और का क्यों हैं फिर बिचौलिये बहला रहे ललचा रहे पुष्पित राहों में काँटों से पहचान कर निकालना इस राष्ट्र का ये धर्म है अगर रहा हर्षित किसान फंसलें भी लहलहाएगीं चेहरे की उनकी ख़ुशी हर थालियों में आएगी

2020

2020   ।।  2020    ।। बीते हर वर्ष समान आप भी तो आए थे मन हर्षोत्साहित था भरी हुई थी भावनाएं आप तो थे अलग बीस बीस साथ साथ आपके आने से था मन में अलग विश्वास एक महामारी नें समस्त विश्व लिया समेट अपयश हुआ आपका न आपमें कोई अभाव आपनें ये सीख दी न कुछ भी स्थाई यहाँ मनुष्यता तो प्रेम की बस एक परिभाषा सी जो कुछ भी है यहीं रहे न साथ कुछ भी जाएगा पढ़ते थे ये सब यहाँ आपनें दिखा दिया सीखा दिया इंसानियत न किसी का कुछ भी स्वामित्व बस डेरा सा है संसार  रह जाता स्नेह प्यार रह जाएंगें आप यादों में' अच्छे बुरे जो दिन रहे बहुत कुछ आप कह गए  बहुत कुछ बिना कहे