किसान
किसान ।। किसान ।। अन्न धरती माँ किसान ऋतु अनुकूल साथ जो लहलहाते खेत उपज हर्ष में होता इंसान साथ मिलता हर वक़्त योजनाएं काम आएं कर सही पहचान अगर सुविधाएं पहुंचाई जाएँ हर किसान धनवान न कुछ की हैं लाचारियाँ उचित वक़्त पर उचित साथ इतनी सी बस कामना ढेरों बैठे गिद्ध हैं नोचनें हर पल उन्हें परिश्रम किसी और का क्यों हैं फिर बिचौलिये बहला रहे ललचा रहे पुष्पित राहों में काँटों से पहचान कर निकालना इस राष्ट्र का ये धर्म है अगर रहा हर्षित किसान फंसलें भी लहलहाएगीं चेहरे की उनकी ख़ुशी हर थालियों में आएगी